दिवाली पर इस कथा के बिना अधूरी माना जाता है लक्ष्मी पूजन, जरुर पढ़ें ये कथा

दिवाली पर मां लक्ष्मीजी और भगवान गणेश जी पूजा करने का विधान है। इस साल दिवाली 24 अक्टूबर को है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के साथ साथ उनकी यह कथा पढ़ने से भी व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। यहां पढ़ें दिवाली की कथा।

दिवाली की कथा
एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसकी एक लड़की थी। उसने देखा कि लक्ष्मी जी पीपल से निकला करती हैं। एक दिन लक्ष्मी जी उस साहूकार की लड़की से बोली कि मैं तुझ पर बहुत प्रसन्न हूं। इसलिए तू मेरी सहेली बन सकती है। लड़की बोली क्षमा कीजिए मैं अपने माता पिता से पूछकर बताऊंगी। इसके बाद वह आज्ञा पाकर श्री लक्ष्मीजी की सहेली बन गई। महालक्ष्मी जी उससे बहुत प्रेम करती थी।

एक दिन लक्ष्मीजी ने उस लड़की को भोजन का निमंत्रण दिया। जब लड़की भोजन करने के लिए आई तो लक्ष्मी जी ने उसे सोना चांदी के बर्तनों में खाना खिलाया। सोना की चौकी पर बिठाया और उसे बहुमूल्य वस्त्र ओढ़ने को दिए। इसके बाद लक्ष्मी जी ने कहा कि मैं भी कल तुम्हारे यहां आऊंगी। लड़की ने स्वीकार कर लिया और अपने माता पिता को सब हाल कहकर सुनाया। यह सुनकर उसके माता पिता बहुत खुश हुए। लेकिन, लड़की उदास होकर बैठ गई। कारण पूछने पर उसने अपने माता पिता को बताया कि लक्ष्मी जी का वैभव बहुत बड़ा है। मैं उन्हें कैसे संतुष्ट कर सकूंगी। उसके पिता ने कहा कि बेटी गोबर से जमीन को लीपकर जैसा भी बन पड़े रूखा सूखा श्रद्धा और प्रेम से खिला देना।

यह बात पिता कह भी न पाए की एक चील वहां मंडराते हुए आई और किसी रानी का नौलखा हार वहां डालकर चली गगई। यह देखकर साहूकार की लड़की बहुत प्रसन्न हुई। उसने उस हार को बेचकर लक्ष्मीजी के भोजन का इंतजाम किया। इसके बाद वहां श्री गणेशजी और लक्ष्मी जी वहां आ गए। लड़की ने उन्हें सोने की चौकी पर बैठने को कहा। इस पर महा लक्ष्मीजी और गणेशजी ने बड़े प्रेम से भोजन किया। लक्ष्मी जी और गणेशजी के आने से साहूकार का घर सुख संपत्ति से भर गया। हे लक्ष्मी माता जिस प्रकार उस लड़की पर अपनी कृपा बरसाई। उसी प्रकार सभी घरों में सुख संपत्ति देना।

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