सालासर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चुरू जिले में जयपुर-बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। वर्ष भर में असंख्य भारतीय भक्त दर्शन के लिए सालासर धाम जाते हैं। हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा पर बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। भारत में यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है जिसमे बालाजी के दाढ़ी और मूँछ है। सालासर धाम में आने वाले सभी यात्रियों की सुविधा व धाम का विकास “श्री बालाजी मंदिर” के माध्यम से “श्री हनुमान सेवा समिति” द्वारा समुचित रूप से किया जाता है। यहाँ रहने के लिए कई धर्मशालाएँ और खाने-पीने के लिए कई जलपान-गृह (रेस्तराँ) हैं। श्री सालासर बालाजी मंदिर सालासर कस्बे के ठीक मध्य में स्थित है। यहाँ की मान्यता है की मात्र नारियल बांधने से बालाजी महाराज सभी इच्छाओं को पूरी करते है।
सालासर धाम की स्थापना करीब 268 साल पहले हुई थी। संत मोहन दासजी महाराज ने बालाजी के चढ़ावे में आए पांच रुपए से मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर बनाने के पीछे का मकसद भी श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। संवत 1811 श्रावण शुक्ला नवमी शनिवार के दिन बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित हुई थी। इसके बाद में संत मोहन दासजी ने फतेहपुर के नूर मोहम्मद और दाऊ नामक कारीगरों को मंदिर निर्माण के लिए बुलाया। सम्वत् 1815 में निर्माण पूरा हुआ। वर्तमान में मंदिर परिसर लंबे-चौड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है और सभी सुविधाएं भी हैं। देशभर में सालासर धाम अलग पहचान रखता है। कई राज्यों से यहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आते हैं।
सालासर बालाजी धाम में नारियल चढ़ावे में खास तौर से रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान नारियल के भेंट स्वीकार कर लोगों की मनोकामना पूरी करते हैं। हर साल करीब 25 लाख नारियल मंदिर में चढ़ाए जाते हैं। खास बात यह भी है कि यहां मनौती के इन नारियलों का दोबारा उपयोग में नहीं लिया जाता है। उन्हें खेत में गड्ढा खोदकर दबा दिया जाता हैं।
6 am–9 pm