मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली तहसील के करीला गांव में था इसे करीला माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यहीं लव और कुश का जन्म हुआ था। इस मंदिर में सीता जी की तो पूजा की जाती है लेकिन भगवान राम की पूजा नहीं होती। यहां उनकी प्रतिमा भी स्थापित नहीं की गई है।
करीला स्थित माँ जानकी मंदिर पर रंगपंचमी पर मेला लगता है। कहते हैं लंका से लौटने के बाद जब भगवान राम अयोध्या के राजा और माता सीता महारानी थीं, तब किसी अयोध्यावासी की बातों में आकर भगवान राम ने सीता का त्याग कर दिया था। तब लक्ष्मण सीता जी को करीला स्थित निर्जन वन में छोड़कर चले गए थे। लव कुश के जन्म पर अप्सराओं ने स्वर्ग से उतरकर बधाई नृत्य किया था। तभी से यहां हर रंगपचंमी पर मेला लगने का चलन है। जानकर हैरत होगी लेकिन हर साल 15 से 20 लाख श्रद्धालु इस मेले में पहुंचते हैं। जहाँ पर वह लव-कुश का जन्म उत्सव मनाते हैं और बधाई कराते हैं।
मंदिर में यह मान्यता प्रचलित है कि यदि मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी हो जाती है। इसके बाद लोग श्रद्धा के साथ यहां राई और बधाई नृत्य करवाते हैं।
N/A